जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है, दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं “तन्हाई बेहतर है झूठे रिश्तों से, कोई साथ न हो तो भी कोई शिकवा नहीं।” आंखों https://youtu.be/Lug0ffByUck