तन्हाई की रातों में, दर्द की गहराइयों में खो जाता हूँ, मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं, मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है। क्या करें इश्क की तासीर ही ऐसी होती है। कलीम आजिज़ टैग : ज़िंदगी शेयर कीजिए युवा पीढ़ी को प्रेरित https://youtu.be/Lug0ffByUck